Sunday, 27 March 2022

Raghuvamsha

गुण और दोष के विवेचन की क्षमता रखने वाले सज्जन लोग ही मेरे इस ग्रन्थ को पढ़ने के योग्य हैं, क्योंकि सुवर्ण की शुद्धता का ज्ञान अग्नि के सम्पर्क से ही होता है (महाकवि कालिदास के कथन का भाव यह है कि मेरे इस ग्रन्थ में गुण दोष जो भी है विद्वान् लोग उसका परिशीलन करें ) ।



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